MHD-04 : नाटक एवं अन्य गद्य विधाएं | IGNOU Assignment of MHD 04 - Download Solved PDF

सत्रीय कार्य 2023-24
(पाठ्यक्रम के सभी खंडों पर आधारित)


पाठ्यक्रम कोड: एम.एच.डी-4
सत्रीय कार्य कोड: एम.एच.डी-4/टी.एम.ए/2023-24
कुल अंक-100



(1) निम्नलिखित अवतरणों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।

(क ) चूरन सभी महाजन खाते। जिससे जमा हजम कर जाते ।।
चूरन खाते लाला लोग। जिसकी अकिल अजीरन रोग ।।
चूरन खावैं एडिटर जात। जिनके पेट पचै नहिं बात ।।
चूरन साहेब लोग जो खाता।सारा हिंद हजम कर जाता ।। 
चूरन पुलिस वाले खाते। सब कानून हजम कर जाते ।।

उत्तर - यह अवतरण एक व्यंग्य है जो समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनैतिकता और अन्याय को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करता है। यह 'चूरन' शब्द का उपयोग करते हुए विभिन्न पेशों और वर्गों के लोगों पर तंज करता है, जो अपने लाभ के लिए नियमों और सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। इस व्यंग्य के माध्यम से यह दिखाया गया है कि समाज के विभिन्न महत्वपूर्ण वर्ग, जैसे महाजन, एडिटर, साहेब लोग, और पुलिस वाले, अपनी-अपनी भूमिकाओं में गलत आचरण करते हैं और अपने लाभ के लिए अनुचित तरीकों का सहारा लेते हैं। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)

(ख) कई-कई दिनों के लिए अपने को उससे काट लेती हूँ। पर धीरे-धीरे हर चीज फिर उसी ढर्रे पर लौट आती है। सब-कुछ फिर उसी तरह होने लगता है जब तक कि हम जब तक कि हम नए सिरे से उसी खोह में नहीं पहुँच जाते। मैं यहाँ आती हूँ..... यहाँ आती हूँ तो सिर्फ इसीलिए कि.......

उत्तर - यह अवतरण किसी गहरे मानसिक संघर्ष और आंतरिक उलझन का प्रतीक है। इसका संदर्भ नायिका के जीवन के उस चक्र से है, जिसमें वह बार-बार उसी स्थिति में लौट आती है, चाहे वह उससे दूर रहने की कितनी भी कोशिश कर ले। यह अवतरण किसी आत्मकथात्मक या भावनात्मक दृष्टिकोण से लिखा गया है, जहाँ नायिका अपनी निजी जद्दोजहद का वर्णन कर रही है। आइए इस अवतरण की विस्तृत व्याख्या करते हैं: ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)

(ग) लोहा बड़ा कठोर होता है। कभी-कभी वह लोहे को भी काट डालता है। उर्दू भाई ! मैं तो मिट्टी हूँ - मिट्टी जिसमें से सब निकलते हैं। मेरी समझ में तो मेरे शरीर की धातु मिट्टी है, जो किसी के लोभ की सामग्री नहीं, और वास्तव में उसी के लिए सब धातु अस्त्र बनकर चलते हैं, लड़ते हैं, जलते हैं, टूटते हैं, फिर मिट्टी हो जाते हैं। इसलिए मुझे मिट्टी समझो धूल समझो।

उत्तर - यह अवतरण भारतीय साहित्य की गहरी दार्शनिकता और जीवन के तत्वों की गहन व्याख्या प्रस्तुत करता है। यह जीवन की सच्चाई, मानवीय अस्तित्व, और उसकी नश्वरता पर प्रकाश डालता है। अवतरण में लेखक ने अपने जीवन के तत्वों को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाते हुए मानवता के गहरे अर्थों और मानवीय धारणाओं को उजागर किया है। इसमें ‘लोहा’ और ‘मिट्टी’ के प्रतीकों का उपयोग किया गया है, जो कि कठोरता और साधारणता के प्रतीक हैं। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)

(घ) यह आत्महत्या होगी प्रतिध्वनि
इस पूरी संस्कृति में
दर्शन में, धर्म में, कलाओं में
शासन-व्यवस्था में 
आत्मघात होगा बस अंतिम लक्ष्य मानव का

उत्तर - यह अवतरण मानवता, समाज और सभ्यता के अंतर्गत होने वाली उस गहन समस्या पर प्रकाश डालता है, जो आत्महत्या या आत्मघात से जुड़ी है। लेखक यहाँ आत्महत्या को केवल एक व्यक्तिगत कृत्य के रूप में नहीं देख रहे, बल्कि इसे व्यापक रूप से संस्कृति, दर्शन, धर्म, कला, और शासन-व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं। यह विचार उस सामाजिक संरचना के बारे में है जो धीरे-धीरे अपने विनाश की ओर बढ़ रही है और जहां आत्महत्या अंतिम लक्ष्य बनती जा रही है। इस अवतरण की व्याख्या में हम आधुनिक सभ्यता की चुनौतियों और संकटों का विश्लेषण करेंगे, जिनके कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)

(2) 'अंधायुग' के चरित्रों की प्रतीकात्मकता का उल्लेख करते हुए नाटक में वर्णित मूल्य संघर्ष की प्रासंगिकता बताइए।

उत्तर - 'अंधायुग' धर्मवीर भारती द्वारा रचित एक महत्त्वपूर्ण नाटक है जो महाभारत के युद्ध के पश्चात की परिस्थिति और उसमें उत्पन्न होने वाले नैतिक, धार्मिक, और मानवीय संघर्षों को चित्रित करता है। इस नाटक में पात्रों का चयन और उनका प्रतीकात्मक प्रयोग विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है, क्योंकि वे न केवल महाभारत के अपने चरित्र के मूल भाव को बनाए रखते हैं, बल्कि आधुनिक समाज में भी उनकी प्रासंगिकता को स्पष्ट करते हैं। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)
 

(3) 'लोभ और प्रीति' निबंध के भावों का विवेचन करते हुए शुक्लजी की मनोभाव संबंधी अवधारणाओं पर अपना मत प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर - हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य आलोचक आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने निबंध 'लोभ और प्रीति' में मनुष्य के भावात्मक संसार के दो प्रमुख पक्षों — लोभ और प्रीति — का विश्लेषण किया है। यह निबंध मानव मनोविज्ञान के गहन अध्ययन का परिणाम है, जिसमें शुक्लजी ने न केवल इन दोनों भावों का वर्णन किया है, बल्कि उनके पारस्परिक संबंधों और प्रभावों पर भी विस्तृत चर्चा की है। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)

(4) "हिन्दी जीवनी साहित्य में 'कलम का सिपाही' एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।

उत्तर - "कलम का सिपाही" हिन्दी साहित्य के महान कथाकार और पत्रकार मुंशी प्रेमचंद की जीवनी है, जिसे उनके सुपुत्र अमृत राय ने लिखा है। यह कृति न केवल प्रेमचंद के जीवन और उनके साहित्यिक अवदान को उजागर करती है, बल्कि हिन्दी जीवनी साहित्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित होती है। 'कलम का सिपाही' प्रेमचंद के जीवन के संघर्षों, साहित्यिक यात्रा, और उनके सामाजिक तथा राजनीतिक दृष्टिकोण का विस्तार से वर्णन करती है। इसे हिन्दी जीवनी साहित्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाता है और इसके कई कारण हैं, जिनका विवेचन हम इस समीक्षा में करेंगे। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)
 

(5) 'अदम्य जीवन' की विषयवस्तु के प्रति लेखकीय दृष्टिकोण का सोदाहरण विश्लेषण कीजिए।

उत्तर - महादेवी वर्मा द्वारा रचित 'अदम्य जीवन' एक ऐसा निबंध है जो मनुष्य की जिजीविषा, उसकी इच्छाशक्ति और उसके जीवन के प्रति अनवरत संघर्ष की भावना को उजागर करता है। इस निबंध में महादेवी वर्मा ने जीवन की उन परिस्थितियों का वर्णन किया है, जहाँ मनुष्य प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जीवित रहने और संघर्ष करने का साहस दिखाता है। यह निबंध जीवन के प्रति लेखिका की सकारात्मक दृष्टिकोण और मनुष्य की अजेय इच्छाशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। ...............और आगे पढ़ने के लिए और उत्तर जानने के लिए। (Click Here)

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