काव्य के संबंध में विलियम वर्ड्सवर्थ के विचारों की समीक्षा कीजिए । - MHD-05 (IGNOU)

विलियम वर्ड्सवर्थ (1770–1850) अंग्रेजी साहित्य के रोमांटिक आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उन्होंने कविता को आम जीवन, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं से जोड़कर एक नई दिशा प्रदान की। वर्ड्सवर्थ की काव्य-चेतना ने 18वीं शताब्दी की कृत्रिम, आडंबरपूर्ण और अभिजात्य कविता के विरुद्ध एक सशक्त प्रतिक्रिया स्वरूप जन्म लिया। उनका यह विश्वास था कि कविता आम आदमी के जीवन और भाषा की सच्ची अभिव्यक्ति होनी चाहिए।


उनकी काव्य-सिद्धांतों की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति उनकी काव्य-संग्रह Lyrical Ballads की भूमिका (Preface to Lyrical Ballads – 1800, 1802) में मिलती है। इसी भूमिका में उन्होंने अपने काव्य-सिद्धांतों को विस्तार से प्रस्तुत किया और अंग्रेजी साहित्य में आलोचना की एक नई धारा को जन्म दिया।

1. कविता की परिभाषा (Definition of Poetry):

वर्ड्सवर्थ ने कविता को "संवेदना से उद्भूत विचारों की सहज अभिव्यक्ति" (Spontaneous overflow of powerful feelings) कहा है। यह भावनाओं की स्वाभाविक प्रवाह है, जो "शांत मन में पुनः स्मरण" (emotion recollected in tranquility) के द्वारा उत्पन्न होता है।

उनकी परिभाषा के प्रमुख तत्व हैं:
  • भावनात्मकता: कविता संवेदना पर आधारित होनी चाहिए।
  • स्वाभाविकता: उसमें बनावटीपन या कृत्रिमता नहीं होनी चाहिए।
  • धैर्यपूर्ण स्मरण: कवि उन अनुभवों को दोबारा शांत मन में स्मरण करता है और फिर वे कविता बनते हैं।
यह दृष्टिकोण उस युग के लिए क्रांतिकारी था, जब कविता को उच्च वर्ग की शैली और कृत्रिमता का माध्यम माना जाता था।

2. कविता की विषयवस्तु (Subject Matter of Poetry):

वर्ड्सवर्थ के अनुसार कविता का विषय आम मनुष्य का जीवन, उसके भाव, संघर्ष, प्रकृति के साथ उसका संबंध और उसका मनोभाव होना चाहिए।
उनका मानना था कि:
“Poetry should choose incidents and situations from common life.”
वह कविता को शहरी जीवन की कृत्रिमताओं से मुक्त कर, ग्रामीण और सामान्य जीवन की सच्चाइयों की ओर ले जाना चाहते थे। उनकी कविताओं में किसान, चरवाहे, साधारण बच्चे, वृद्ध महिलाएं — ऐसे आम लोग नायक बनते हैं। यह दृष्टिकोण ‘लोक जीवन’ की गरिमा को स्थापित करता है, और यह दिखाता है कि हर मनुष्य की संवेदना में काव्य निहित है।

3. कविता की भाषा (Language of Poetry):

वर्ड्सवर्थ ने कविता की भाषा को लेकर भी महत्वपूर्ण मत प्रस्तुत किया। उनके अनुसार कविता की भाषा वही होनी चाहिए, जो आम लोगों द्वारा दैनिक जीवन में प्रयोग की जाती है।
उन्होंने कहा:
“There neither is nor can be any essential difference between the language of prose and metrical composition.”
वर्ड्सवर्थ का यह मत 18वीं शताब्दी की उस परंपरा के विरोध में था जिसमें कविताएं अत्यंत शिष्ट, कृत्रिम और सजावटी भाषा में लिखी जाती थीं। उनका मत था कि कविता को सरल, सीधी, और संवादात्मक भाषा में लिखा जाना चाहिए। हालांकि, आलोचकों ने बाद में यह पाया कि वर्ड्सवर्थ स्वयं कई स्थानों पर ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो आम जन की नहीं है। फिर भी, उनका यह विचार कविता को अभिजात्य वर्ग से निकालकर जनसामान्य के निकट लाता है।

4. काव्य और प्रकृति (Poetry and Nature):

वर्ड्सवर्थ को 'प्रकृति का पुजारी' (High Priest of Nature) कहा जाता है। उनके काव्य-सिद्धांतों में प्रकृति का विशेष स्थान है। उनके लिए प्रकृति केवल बाह्य सौंदर्य नहीं, बल्कि एक जीवंत शक्ति, एक मार्गदर्शक, एक शिक्षक और एक ईश्वरतुल्य उपस्थिति है।
उनका मानना था कि:
“Nature never did betray the heart that loved her.”
प्रकृति के माध्यम से वर्ड्सवर्थ मानवीय आत्मा की गहराई तक पहुँचना चाहते हैं। उनका विश्वास था कि प्रकृति के साथ निकट संबंध मानव हृदय को कोमल, नैतिक और बौद्धिक बनाता है। उनकी कविता ‘Tintern Abbey’, ‘Lines Written in Early Spring’, ‘Ode: Intimations of Immortality’ आदि प्रकृति को एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

5. कवि की भूमिका (Role of the Poet):

वर्ड्सवर्थ के अनुसार, कवि एक साधारण व्यक्ति नहीं है, बल्कि वह दूसरों की तुलना में अधिक संवेदनशील, अधिक कल्पनाशील और अधिक सूक्ष्म दृष्टि रखने वाला होता है।
उन्होंने लिखा:
“A poet is a man speaking to men.”
यानी कवि मानवता का प्रतिनिधि है, परंतु उसमें वे विशेष क्षमताएँ होती हैं जो उसे अधिक अनुभूतिशील और विचारशील बनाती हैं। वह समाज से जुड़ा होता है, समाज के लिए लिखता है, और समाज को नैतिक दृष्टि देता है।

6. काव्य और नैतिकता (Poetry and Morality):

वर्ड्सवर्थ कविता को नैतिकता से भी जोड़ते हैं। उनका मानना था कि अच्छी कविता आत्मा को उदात्त बनाती है और उसे जीवन के गहरे मूल्यों की ओर ले जाती है।
वह कहते हैं:
“The great object of poetry is to instruct by pleasing.”
अर्थात कविता का उद्देश्य केवल आनंद देना नहीं है, बल्कि पाठक को शिक्षित करना भी है — परंतु यह शिक्षा सौंदर्य और रस के माध्यम से दी जानी चाहिए।

7. आलोचनात्मक दृष्टिकोण और विरोधाभास:

वर्ड्सवर्थ के काव्य-सिद्धांतों की जहां एक ओर प्रशंसा हुई, वहीं कुछ आलोचकों ने इसमें विरोधाभास और सीमाएं भी बताई हैं:
  • उन्होंने सामान्य भाषा की वकालत की, परंतु स्वयं कहीं-कहीं पर जटिल भाषा का प्रयोग करते हैं।
  • उन्होंने साधारण जीवन को केंद्र में रखा, परंतु कई बार उनके विचार अत्यंत दार्शनिक हो जाते हैं जो आम पाठकों के लिए कठिन हो सकते हैं।
  • उनके “emotion recollected in tranquility” सिद्धांत की आलोचना यह कहकर की गई कि भावनाएं स्वाभाविक होती हैं, उन्हें “शांत मन” में पुनः स्मरण करके उत्पन्न करना कुछ हद तक कृत्रिमता को जन्म दे सकता है।
फिर भी, इन आलोचनाओं के बावजूद वर्ड्सवर्थ के विचारों ने कविता की दुनिया में क्रांति ला दी।

8. उनके सिद्धांतों का प्रभाव (Influence of Wordsworth’s Ideas):

वर्ड्सवर्थ के काव्य-सिद्धांतों का अंग्रेज़ी ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने कविता को आडंबर से मुक्त किया और उसे मानवीय संवेदनाओं के निकट लाया। उनके विचारों से प्रेरित होकर रॉबर्ट ब्राउनिंग, एच.डब्ल्यू. लॉन्गफेलो, टेगोर, महादेवी वर्मा जैसे कई कवियों ने मानव और प्रकृति के संबंधों को केंद्र में रखकर कविता रची।

निष्कर्ष (Conclusion): - विलियम वर्ड्सवर्थ के काव्य-सिद्धांतों ने साहित्य के इतिहास में एक नवीन युग की शुरुआत की। उन्होंने कविता को अभिजात्य वर्ग के कृत्रिम बंधनों से मुक्त किया और उसे आम जन, प्रकृति, और नैतिकता से जोड़ा। उन्होंने कविता को मानव हृदय की गहराइयों, उसकी पीड़ाओं, उसकी आशाओं और उसके संघर्षों का सच्चा प्रतिनिधि बनाया। उनके काव्य-दर्शन में भावनात्मकता, नैतिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और जीवन की गहराई का अद्वितीय समन्वय मिलता है। उनकी कविताएँ और विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे।

वर्ड्सवर्थ का काव्य हमें सिखाता है कि कविता केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि यह मानवता के संवेदनात्मक इतिहास का दस्तावेज़ है — एक ऐसा दस्तावेज़ जो हमारी आत्मा को छूता है और हमारे विचारों को दिशा देता है।

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