काव्य संबंधी मैथ्यू ऑर्नल्ड के विचार
मैथ्यू ऑर्नल्ड (1822-1888) उन्नीसवीं शताब्दी के प्रसिद्ध अंग्रेज़ साहित्यकार, आलोचक, निबंधकार और कवि थे। उन्होंने काव्य और साहित्य की आलोचना को एक नई दिशा दी। उन्होंने न केवल कविता लिखी, बल्कि काव्य और साहित्य की सार्थकता, उद्देश्य और मूल्य को लेकर गंभीर चिंतन भी किया। काव्य की भूमिका, उद्देश्य, उसकी उपयोगिता और उसकी सामाजिक ज़िम्मेदारियों को लेकर उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
मैथ्यू ऑर्नल्ड का मानना था कि कविता केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह मानवता की नैतिक और बौद्धिक उन्नति का एक सशक्त साधन भी है। उन्होंने काव्य को जीवन के "सर्वोच्च सत्य" की अभिव्यक्ति माना। इस निबंध में हम मैथ्यू ऑर्नल्ड के काव्य-संबंधी विचारों का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे।
काव्य का उद्देश्य (The Purpose of Poetry):
मैथ्यू ऑर्नल्ड के अनुसार कविता का उद्देश्य केवल सौंदर्यात्मक या भावनात्मक आनंद देना नहीं है। उनके लिए काव्य का उद्देश्य "जीवन का सार्थक व्याख्यान" (Criticism of life) है। काव्य को ऐसा होना चाहिए जो जीवन के यथार्थ, उसकी समस्याओं, उसकी सच्चाइयों और उसकी जटिलताओं को बौद्धिक और नैतिक दृष्टि से प्रस्तुत कर सके।
उनका प्रसिद्ध कथन है:“Poetry is at bottom a criticism of life under the conditions fixed for such a criticism by the laws of poetic truth and poetic beauty.”
यह कथन स्पष्ट करता है कि ऑर्नल्ड कविता में गहराई, सच्चाई और सौंदर्य को आवश्यक मानते थे। उनके अनुसार, काव्य का काम है जीवन के अनुभवों की आलोचनात्मक व्याख्या करना — वह भी सत्य और सौंदर्य के नियमों के अधीन रहकर।
काव्य में नैतिकता का स्थान (Poetry and Morality):
मैथ्यू ऑर्नल्ड नैतिकता को काव्य का अनिवार्य तत्त्व मानते थे। उनके अनुसार एक सच्चा कवि वही है, जो अपने काव्य के माध्यम से समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता उत्पन्न करे। वह मानते थे कि एक अच्छा काव्य पाठक के मन को ऊँचा उठाता है और उसे विचारशील तथा नैतिक बनाता है।
उन्होंने कहा कि:"The greatness of a poet lies in his powerful and beautiful application of ideas to life – to the question: how to live."
यानी एक कवि का कार्य न केवल सौंदर्य का सृजन करना है, बल्कि वह पाठक को यह विचार भी दे कि ‘जीवन कैसे जिएँ’। वे काव्य को नैतिक शिक्षा का माध्यम मानते थे, लेकिन वे उपदेशात्मकता के पक्ष में नहीं थे। वे कला और नैतिकता के संतुलन की बात करते हैं।
श्रेष्ठता की कसौटी – उच्च मानदंड (Touchstone Method):
मैथ्यू ऑर्नल्ड की सबसे प्रसिद्ध आलोचनात्मक अवधारणा "टचस्टोन मेथड" (Touchstone Method) है। यह एक प्रकार की तुलना की पद्धति है, जिसमें किसी काव्य या रचना की श्रेष्ठता का आकलन किया जाता है। इस पद्धति के अनुसार, महान कवियों (जैसे होमर, डांटे, शेक्सपीयर, मिल्टन आदि) की श्रेष्ठ पंक्तियों को "मानक" (touchstone lines) के रूप में अपनाया जाए, और नई कविताओं की तुलना इन पंक्तियों से की जाए। यदि किसी कविता की भावना, शैली, विचार, और सौंदर्य इन मानकों से मेल खाते हैं, तो वह कविता महान कही जा सकती है।
काव्य और धर्म (Poetry as Substitute for Religion):
मैथ्यू ऑर्नल्ड ने उस समय लिखा जब यूरोप में धर्म के प्रति आस्था डगमगा रही थी। ऐसे समय में उन्होंने यह विचार रखा कि जब धर्म समाज में अपनी शक्ति खो रहा हो, तब काव्य और साहित्य को वह भूमिका निभानी चाहिए जो पहले धर्म निभाता था — यानी आत्मा को दिशा देना, आशा देना, और नैतिक मार्गदर्शन करना।
उन्होंने कहा:“More and more mankind will discover that we have to turn to poetry to interpret life for us, to console us, to sustain us.”
इस कथन से स्पष्ट है कि ऑर्नल्ड कविता को महज कला नहीं, बल्कि जीवन की गूढ़ व्याख्या, सांत्वना और प्रेरणा का साधन मानते थे।
काव्य की शैली और विषयवस्तु (Style and Subject Matter in Poetry):
मैथ्यू ऑर्नल्ड के अनुसार कविता में शैली (style) भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी विषयवस्तु। वे कहते हैं कि शैली में गंभीरता, आत्मसंयम, और संतुलन होना चाहिए। वे ‘भावुकतावाद’ (Sentimentalism) के विरोधी थे। वे अश्लीलता, अधिक कल्पनात्मकता या अतिरेकी व्यक्तिवाद को अच्छे काव्य के लिए बाधा मानते थे।
उनकी दृष्टि में श्रेष्ठ काव्य वह है, जिसमें:
- भाषा सुसंस्कृत और गरिमामयी हो
- भावनाएँ गहरी हों, परंतु संयत हों
- विचार उच्च कोटि के हों
- शैली में सादगी और स्पष्टता हो
समकालीन काव्य की आलोचना (Criticism of Contemporary Poetry):
ऑर्नल्ड ने अपने समय के कई कवियों की आलोचना की क्योंकि वे मानते थे कि समकालीन काव्य में विचारों की गहराई और नैतिक उद्देश्य की कमी थी। उन्होंने विशेष रूप से टेनीसन और ब्राउनिंग की रचनाओं में इन कमियों की ओर इशारा किया। उनका मानना था कि इन कवियों की रचनाएँ व्यक्तिगत भावना और कल्पना से भरपूर थीं, परंतु उनमें जीवन का "नैतिक आलोचनात्मक" दृष्टिकोण नहीं था।
महान काव्य की विशेषताएँ (Features of Great Poetry):
ऑर्नल्ड के अनुसार, महान कविता में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए:
- गंभीरता (Seriousness): विषय और शैली दोनों में गंभीरता हो।
- उच्च विचार (High Ideas): कविता में विचार उच्च स्तर के और जीवन-दर्शन से जुड़े हों।
- सौंदर्य और सत्य का संतुलन: कविता में न तो केवल सौंदर्य हो और न ही केवल उपदेश, बल्कि दोनों का संतुलित मेल हो।
- सांस्कृतिक और नैतिक मूल्य: कविता समाज के नैतिक मूल्यों को मजबूत करे।
आलोचक के रूप में ऑर्नल्ड का महत्व:
मैथ्यू ऑर्नल्ड को अंग्रेजी साहित्य में आधुनिक आलोचना का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने कविता और आलोचना दोनों में तर्क, विवेक, नैतिकता और संस्कृति की महत्ता को स्थापित किया। उन्होंने यह दृष्टिकोण दिया कि आलोचक को न तो अंधभक्त होना चाहिए और न ही निराधार विरोधी — बल्कि उसे निष्पक्ष और सुसंस्कृत दृष्टि से साहित्य का मूल्यांकन करना चाहिए। उनकी कृति "Essays in Criticism" और "The Study of Poetry" उनकी साहित्यिक दृष्टि का प्रमाण हैं।
निष्कर्ष (Conclusion): - मैथ्यू ऑर्नल्ड के काव्य-संबंधी विचार आज भी प्रासंगिक हैं, विशेषकर तब जब साहित्य और कला को केवल मनोरंजन का माध्यम मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उन्होंने काव्य को न केवल सौंदर्य और कल्पना का साधन माना, बल्कि एक गहन नैतिक और बौद्धिक प्रक्रिया के रूप में भी देखा। उनके विचार हमें यह समझने में सहायता करते हैं कि सच्चा काव्य केवल सुंदर शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि वह जीवन की सच्चाइयों का गहन विश्लेषण और मार्गदर्शन है।
मैथ्यू ऑर्नल्ड के दृष्टिकोण में कविता मानव जीवन की समस्याओं, संघर्षों और उद्देश्यों की खोज का माध्यम है। उनकी दृष्टि में काव्य एक दर्पण है, जो जीवन की यथार्थ छवि दिखाता है — परन्तु उस दर्पण में केवल रूप नहीं, आत्मा भी प्रतिबिंबित होती है।