1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए:
(क) जर्मनी में कहानी
(ख) लैटिन अमेरिकी देशों में कहानी
(ग) पश्चिमी एशिया में कहानी
(घ) नई कहानी
(क) जर्मनी में कहानी पर टिप्पणी लिखिए:
जर्मनी में कहानी (Kurzgeschichte) का उद्भव 19वीं सदी के मध्य में हुआ, जब यथार्थवाद और समाजसापेक्ष साहित्यिक चेतना विकसित हो रही थी। प्रारंभ में जर्मन कहानियाँ अधिकतर दर्शन, नैतिकता और सामाजिक आलोचना से जुड़ी थीं। कहानी को एक साहित्यिक विधा के रूप में पहचान दिलाने का श्रेय हाइनरिच वॉन क्लाइस्ट, थियोडोर स्टॉर्म और गोटहोल्ड एफ्रैम लेसिंग जैसे लेखकों को दिया जा सकता है।
बीसवीं सदी में प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय कहानी लेखन में गहरी संवेदनशीलता, राजनीतिक चेतना और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण दिखाई देता है। इस युग की कहानियों में युद्ध, अकेलापन, भय, अस्तित्ववाद और सत्ता के दमन की गूंज स्पष्ट है। फ्रांज काफ्का की कहानियाँ, विशेषतः Metamorphosis (रूपांतरण), जर्मन कहानी को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा प्रदान करती हैं। काफ्का ने व्यक्ति की आंतरिक टूटन, असहायता और सामाजिक जटिलताओं को प्रतीकात्मक रूप में प्रस्तुत किया।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बर्टोल्ट ब्रेख्त, हैनरिक बोयल, गुंटर ग्रास जैसे लेखकों ने जर्मन समाज की राजनीतिक, नैतिक और ऐतिहासिक स्थितियों को उजागर किया। इनकी कहानियाँ विचारोत्तेजक और प्रगतिशील थीं।
जर्मन कहानी में संक्षिप्तता, तीव्र प्रभाव और प्रतीकात्मकता की विशेषता रही है। यह कहानी पाठकों को न केवल संवेदना से जोड़ती है, बल्कि विचारशील भी बनाती है। अतः जर्मनी की कहानी परंपरा ने विश्व साहित्य को सघनता और गहराई की अनुपम दृष्टि दी है।
(ख) लैटिन अमेरिकी देशों में कहानी पर टिप्पणी लिखिए:
लैटिन अमेरिकी देशों में कहानी लेखन की परंपरा उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में सशक्त रूप से विकसित हुई। इस परंपरा की विशेषता यह रही कि इसमें स्थानीय लोक संस्कृति, जादुई यथार्थवाद (Magical Realism), राजनीतिक चेतना और अस्तित्ववादी दृष्टिकोण का सुंदर समन्वय मिलता है।
लैटिन अमेरिकी कहानी की नींव रखने वाले प्रमुख कथाकारों में हॉरहे लुई बोर्खेस (Jorge Luis Borges) का नाम सर्वोपरि है। बोर्खेस की कहानियाँ दर्शन, कल्पना और बौद्धिकता का गहन मिश्रण हैं। उनकी कहानियाँ पाठकों को एक रहस्यमयी, दार्शनिक और कालातीत अनुभव से जोड़ती हैं।
गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ ने कहानी को एक नई पहचान दी। उन्होंने जादुई यथार्थवाद की परंपरा को प्रतिष्ठा दी, जहाँ वास्तविकता में जादू का सहज प्रवेश होता है। उनकी कहानियाँ जैसे A Very Old Man with Enormous Wings सामाजिक, धार्मिक और मानवीय मूल्यों पर गहराई से प्रश्न उठाती हैं।
अन्य प्रमुख लेखक जैसे मारियो वर्गास योसा, जूलियो कोरतेज़ार, कार्लोस फुएन्तेस आदि ने भी लैटिन अमेरिकी समाज की राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक अन्याय, तानाशाही और सांस्कृतिक संघर्षों को कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत किया।
लैटिन अमेरिकी कहानी की शैली में कवित्व, प्रतीकात्मकता, पौराणिकता और सामाजिक व्यंग्य की विशेषता मिलती है। इस परंपरा ने न केवल क्षेत्रीय पहचान को वैश्विक मंच पर रखा, बल्कि समकालीन कथा-साहित्य को नई दिशा भी दी।
(ग) पश्चिमी एशिया में कहानी पर टिप्पणी लिखिए:
पश्चिमी एशिया, जिसे प्राचीन सभ्यता की भूमि कहा जाता है, वहाँ कहानी की परंपरा बहुत पुरानी है। "हज़ार एक रातें (Arabian Nights या Alf Laila wa Laila)" जैसे कथासंग्रह इस क्षेत्र की लोककथा परंपरा और मौखिक साहित्य की समृद्धि को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि उनमें नैतिक शिक्षा, जादुई यथार्थ और सामाजिक चेतना का गहरा समावेश था।
आधुनिक पश्चिमी एशियाई कहानी लेखन का विकास मुख्यतः 20वीं शताब्दी में हुआ, जब उपनिवेशवाद, धार्मिक संघर्ष, राष्ट्रवाद और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दे कथा-साहित्य का विषय बनने लगे। अरबी, फारसी, तुर्की और हिब्रू भाषाओं में कहानी लेखन ने नई पहचान बनाई।
नाजीब महफूज़ (Naguib Mahfouz) मिस्र के लेखक थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। उनकी कहानियाँ आधुनिक मिस्र की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जटिलताओं को व्यक्त करती हैं।
घसन कन्नफानी, एक प्रसिद्ध फिलिस्तीनी कथाकार, ने अपनी कहानियों में विस्थापन, युद्ध और पहचान के संकट को मार्मिकता के साथ प्रस्तुत किया।
जॉर्डन, लेबनान, ईरान और इराक जैसे देशों के लेखक भी आधुनिक कहानी लेखन में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पितृसत्तात्मक समाज, स्त्री अधिकार, आतंकवाद, शरणार्थी जीवन और धार्मिक कट्टरता जैसे मुद्दों को कथा के माध्यम से व्यक्त किया।
पश्चिमी एशिया की कहानियाँ राजनीतिक संघर्षों, सांस्कृतिक जटिलताओं और मानवीय संवेदनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति हैं, जिन्होंने विश्व साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
(घ) नई कहानी पर टिप्पणी लिखिए:
‘नई कहानी’ हिंदी साहित्य की एक प्रभावशाली और वैचारिक आंदोलनधर्मी कथा प्रवृत्ति है, जिसका उद्भव 1950 के दशक में हुआ। यह परंपरागत आदर्शवादी और नैतिकतावादी कहानी के विरुद्ध एक सशक्त प्रतिरोध थी। नई कहानी ने यथार्थ, व्यक्ति की संवेदना, अस्तित्वगत संघर्ष, नगरीय जीवन की जटिलता और आधुनिकता के संकटों को कथा का मुख्य आधार बनाया।
इस आंदोलन के प्रमुख प्रेरणास्रोत थे — प्रेमचंद के यथार्थवाद, प्रगतिशील साहित्य आंदोलन की सामाजिक चेतना, और पश्चिमी अस्तित्ववाद व मनोविश्लेषण की गहराई। नई कहानीकारों ने कहानी को नैतिक उपदेश की वस्तु नहीं माना, बल्कि उसे मनुष्य के भीतरी यथार्थ और टकराहटों की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति बनाया।
प्रमुख रचनाकार:
- मोहन राकेश – ‘माई’
- कमलेश्वर – ‘राजा निरबंसिया’
- राजेंद्र यादव – ‘सारा आकाश’
- नायरा रहमान, उषा प्रियंवदा, मन्नू भंडारी – जिन्होंने स्त्री की आत्मचेतना और सामाजिक द्वंद्व को स्वर दिया।
नई कहानी में संवाद, प्रतीक, मनोविश्लेषण, और वातावरण निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया। यह कहानी सामाजिक यथार्थ के साथ-साथ व्यक्ति की आंतरिक विडंबनाओं को भी उद्घाटित करती है।
इस प्रकार, नई कहानी ने हिंदी कथा साहित्य को एक नई दिशा दी, जिसमें सामाजिक द्वंद्व, मध्यवर्गीय जीवन की उलझनें, और आधुनिक मनुष्य की टूटन को ईमानदारी से चित्रित किया गया। यह हिंदी कहानी का संवेदनशील और बौद्धिक मोड़ साबित हुई।