साकेत लिखने की प्रेरणा गुप्त जी को कहां से प्राप्त हुई थी। यह काव्य किस श्रेणी का है इसका औचित्य को सिद्ध कीजिए

साकेत लिखने की प्रेरणा और काव्य श्रेणी का औचित्य


महाकवि मैथिलीशरण गुप्त का महाकाव्य 'साकेत' हिंदी साहित्य में एक अमूल्य धरोहर है। 'साकेत' की प्रेरणा गुप्त जी को वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास कृत रामचरितमानस से मिली। ये दोनों महाकाव्य भारतीय संस्कृति और साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। गुप्त जी ने इस महाकाव्य में रामायण की कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जो इसे विशिष्ट और अनुकरणीय बनाता है।

प्रेरणा का स्रोत

गुप्त जी ने 'साकेत' की रचना में वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस का आधार लिया, लेकिन उन्होंने इसे उर्मिला के दृष्टिकोण से लिखा। उर्मिला, जो लक्ष्मण की पत्नी थीं, उनके संघर्ष और उनके जीवन को केंद्र में रखकर यह महाकाव्य रचा गया है। गुप्त जी ने देखा कि उर्मिला की कथा को अक्सर अनदेखा किया गया था और उन्होंने इस अनछुए पहलू को अपने महाकाव्य में उजागर किया।


महाकाव्य की श्रेणी

'साकेत' एक शास्त्रीय महाकाव्य है। शास्त्रीय महाकाव्य वे रचनाएँ होती हैं, जो एक विस्तृत कथा को पद्य में प्रस्तुत करती हैं। इसमें नायक और अन्य प्रमुख पात्रों के जीवन और उनके संघर्षों का विस्तार से वर्णन होता है। 'साकेत' में गुप्त जी ने रामायण की कथा को उर्मिला के माध्यम से प्रस्तुत किया है, जिसमें समाज, राजनीति, और व्यक्तिगत संघर्षों का गहन चित्रण है।

औचित्य सिद्ध करना

  1. काव्य रचना शैली: गुप्त जी ने इस महाकाव्य में भावनाओं का अत्यंत सजीव और सजीव वर्णन किया है। उनके शब्दों में एक चित्रकारी की सी शक्ति है, जिससे पाठक कथा के साथ-साथ उस समय और स्थान का अनुभव कर सकते हैं।
  2. नारी के दृष्टिकोण से: 'साकेत' में उर्मिला के माध्यम से गुप्त जी ने महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों को प्रमुखता से दर्शाया है। उर्मिला के माध्यम से उन्होंने यह दिखाया कि कैसे समाज में नारी की भूमिका को अक्सर अनदेखा किया जाता है और उनके त्याग और संघर्ष को पर्याप्त मान्यता नहीं मिलती।
  3. सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य: महाकाव्य में अयोध्या के समाज और राजनीतिक स्थिति का विस्तृत चित्रण है। यह उस समय की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों का एक प्रतिबिंब है, जिसमें समाज का पतन, राजनीतिक अस्थिरता, और आदर्श चरित्रों का संघर्ष प्रमुखता से दिखाया गया है। गुप्त जी ने इस महाकाव्य में यह दर्शाया है कि कैसे आदर्शों और संघर्षों के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है।
  4. भावनात्मक गहराई: 'साकेत' में गुप्त जी ने भावनात्मक गहराई को बड़ी कुशलता से प्रस्तुत किया है। उर्मिला का प्रेम, त्याग, और उनके अंतर्द्वंद्व को अत्यंत संवेदनशीलता से दर्शाया गया है। यह महाकाव्य पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है और उन्हें उर्मिला के साथ उनके दर्द और संघर्ष में सहभागी बनाता है।
  5. भाषा और शैली: गुप्त जी की भाषा और शैली भी इस महाकाव्य को विशिष्ट बनाती है। उन्होंने सरल और सजीव भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पाठक कथा के साथ-साथ उसकी गहराई को भी समझ सकते हैं। उनकी कविता में एक मधुरता और संगीतात्मकता है, जो पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

निष्कर्ष
'साकेत' महाकाव्य न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व भी है। गुप्त जी ने इस महाकाव्य में रामायण की कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है और नारी जीवन, समाज, और राजनीति के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया है। 'साकेत' एक ऐसा महाकाव्य है, जो पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाता है।

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