रवीन्द्र कालिया की कहानी 'गौरैया' एक बहुत ही संवेदनशील और मार्मिक कथा है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं और मानवीय भावनाओं को उजागर करती है। कहानी का मुख्य विषय एक गौरैया पक्षी के माध्यम से व्यक्ति और समाज के संबंधों, संवेदनाओं और बदलावों को दर्शाना है। यह कथा न केवल एक पक्षी की कहानी है, बल्कि यह मानवीय जीवन के संघर्षों, इच्छाओं और संबंधों का भी प्रतीक है।
कहानी की शुरुआत एक छोटे से गाँव में होती है, जहाँ एक गौरैया अपने घोंसले में रहती है। यह घोंसला किसी घर के आंगन में या एक पेड़ की शाखा पर हो सकता है। गौरैया अपने जीवन को सरलता और स्वतंत्रता के साथ जीती है। उसकी चहचहाट और उड़ानें गाँव के वातावरण को जीवंत और खुशहाल बनाती हैं। गाँव के बच्चे उसके साथ खेलते हैं और उसे अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। गौरैया की स्वतंत्रता और उसकी उड़ानें गाँव के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, गौरैया का जीवन और अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण होता जाता है। गाँव में बदलाव आने लगते हैं, और लोग अपने पारंपरिक जीवनशैली को छोड़कर नई और आधुनिक तरीकों को अपनाने लगते हैं। इस बदलाव का प्रभाव गौरैया के जीवन पर भी पड़ता है। लोग अब अपने घरों और पेड़ों को काटकर आधुनिक निर्माण करते हैं, जिससे गौरैया के घोंसले और उसके जीवन की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
कहानी में यह भी दिखाया गया है कि कैसे गौरैया अपने घोंसले को बचाने और अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष करती है। उसकी उड़ानें अब उसकी स्वतंत्रता का प्रतीक नहीं रह जातीं, बल्कि वे उसके अस्तित्व की लड़ाई बन जाती हैं। गाँव के लोग जो पहले उसे प्यार करते थे और उसका ध्यान रखते थे, अब वे उसके अस्तित्व की परवाह नहीं करते। गौरैया का जीवन अब पहले जैसा सरल और खुशहाल नहीं रह जाता।
कहानी का एक महत्वपूर्ण पहलू है मानवीय संबंधों और संवेदनाओं का चित्रण। गौरैया के माध्यम से लेखक ने यह दिखाया है कि कैसे समाज में बदलाव आने पर लोग अपने पुराने संबंधों और संवेदनाओं को भूल जाते हैं। गाँव के लोग जो पहले गौरैया को प्यार करते थे और उसका ध्यान रखते थे, अब वे अपने जीवन की नई प्राथमिकताओं में व्यस्त हो जाते हैं। गौरैया का संघर्ष और उसकी जीवन की कठिनाइयाँ इस बात का प्रतीक हैं कि कैसे समाज में बदलाव आने पर लोग अपनी मानवीय संवेदनाओं को छोड़कर आधुनिकता की ओर बढ़ जाते हैं।
कहानी का अंत गौरैया की मृत्यु के साथ होता है। यह अंत बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील है। गौरैया की मृत्यु न केवल उसके जीवन का अंत है, बल्कि यह उस समाज की भी एक तस्वीर है जो अपनी पुरानी संवेदनाओं और संबंधों को खो देता है। गौरैया की मृत्यु के साथ लेखक ने यह संदेश दिया है कि आधुनिकता और विकास के नाम पर हम अपने पुराने संबंधों और संवेदनाओं को नहीं भूलना चाहिए।
गौरैया की कहानी में लेखक ने जीवन के विभिन्न पहलुओं, संघर्षों और संवेदनाओं को बहुत ही संवेदनशीलता और गहराई से प्रस्तुत किया है। यह कहानी न केवल एक गौरैया के जीवन की है, बल्कि यह मानवीय जीवन के संघर्षों, इच्छाओं और संबंधों का भी प्रतीक है। कहानी में गौरैया के माध्यम से लेखक ने यह दिखाया है कि कैसे समाज में बदलाव आने पर लोग अपने पुराने संबंधों और संवेदनाओं को भूल जाते हैं और अपने जीवन की नई प्राथमिकताओं में व्यस्त हो जाते हैं।
इस प्रकार, रवीन्द्र कालिया की कहानी 'गौरैया' की अंतर्वस्तु का विश्लेषण दर्शाता है कि यह कहानी न केवल एक पक्षी के जीवन की है, बल्कि यह मानवीय जीवन के संघर्षों, इच्छाओं और संबंधों का भी प्रतीक है। गौरैया के माध्यम से लेखक ने समाज के विभिन्न पहलुओं और मानवीय संवेदनाओं को बहुत ही संवेदनशीलता और गहराई से प्रस्तुत किया है। यह कहानी पाठकों को यह संदेश देती है कि आधुनिकता और विकास के नाम पर हमें अपने पुराने संबंधों और संवेदनाओं को नहीं भूलना चाहिए और उन्हें संजोए रखना चाहिए।