लोकतत्व का अर्थ
लोकतत्व का अर्थ है लोकजीवन से जुड़े वे तत्व जो किसी साहित्यिक कृति में प्रकट होते हैं। ये तत्व किसी समाज की संस्कृति, परंपराएँ, धार्मिक आस्थाएँ, रीति-रिवाज, लोकविश्वास, लोकगीत, लोकगाथाएँ, लोकसंस्कृति और जनमानस की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। साहित्य में लोकतत्व का समावेश उसे अधिक सहज, संप्रेषणीय और जीवंत बनाता है।
लोकतत्व मुख्य रूप से निम्नलिखित रूपों में प्रकट होते हैं –
- लोककथाएँ एवं लोकगाथाएँ – ऐतिहासिक या पौराणिक कथाएँ, जनश्रुतियाँ।
- लोकविश्वास एवं आस्थाएँ – भाग्य, चमत्कार, देवी-देवताओं की कृपा।
- लोकसंस्कृति एवं रीति-रिवाज – विवाह, पर्व-त्योहार, लोकाचार।
- लोकप्रेम एवं नैतिक मूल्य – प्रेम, त्याग, साहस, कर्तव्यपरायणता।
- लोकभाषा एवं शैली – लोकबोलियों, मुहावरों, लोकोक्तियों का प्रयोग।

पद्मावत में लोकतत्व
मलिक मोहम्मद जायसी की महान कृति "पद्मावत" भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह महाकाव्य न केवल एक प्रेम कथा है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं और सांस्कृतिक धारणाओं का भी सुंदर मिश्रण है। पद्मावत में वर्णित लोकतत्व इस महाकाव्य को विशेष बनाते हैं और इसके माध्यम से जायसी ने अपने समय के समाज की विभिन्न धारणाओं को उजागर किया है।
लोकतत्व का अर्थ है लोक जीवन, लोक संस्कृति, और लोक परंपराओं का समावेश। यह तत्व विभिन्न समाजों के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, और धार्मिक धारणाओं को दर्शाते हैं। लोकगीत, लोकनृत्य, लोककथा, और लोककलाएं लोकतत्वों के उदाहरण हैं। इन तत्वों के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन, उनकी सोच, और उनके मूल्यों को प्रकट किया जाता है। पद्मावत में रानी पद्मिनी और राजा रतनसेन की कहानी को एक लोककथा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कहानी समाज में प्रचलित मिथकों और कथाओं को दर्शाती है, जो समाज के मान्यताओं और धारणाओं को प्रकट करती है।
महाकाव्य में संगीत और लोकगीतों का विशेष महत्व है। जायसी ने अपनी कविता में विभिन्न राग-रागिनियों का उल्लेख किया है, जो उस समय की संगीत परंपराओं को दर्शाती हैं। लोकगीतों के माध्यम से समाज की सांस्कृतिक धारणाओं को प्रस्तुत किया गया है, जैसे रागों का वर्णन और उनके प्रभाव। लोकनृत्य और उत्सव भी पद्मावत में महत्वपूर्ण रूप से प्रस्तुत किए गए हैं। विभिन्न नृत्य और उत्सव समाज की सांस्कृतिक परंपराओं और धारणाओं को उजागर करते हैं। उदाहरण के लिए, होली और दीवाली जैसे उत्सवों का वर्णन समाज की खुशियों और उमंगों को दर्शाता है।
महाकाव्य में समाज की संरचना और व्यवहार का भी उल्लेख किया गया है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच के संबंध, उनकी सोच, और उनके जीवन के पहलुओं को जायसी ने बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। यह समाज की सामाजिक संरचना और उसके विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। धार्मिक आस्था और संस्कार भी पद्मावत में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। जायसी ने अपनी कविता में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों की धारणाओं और संस्कारों को समान महत्व दिया है। यह धार्मिक आस्था और संस्कार समाज के धार्मिक जीवन को प्रकट करते हैं।
पद्मावत में इन लोकतत्वों के माध्यम से जायसी ने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया है। यह महाकाव्य न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि समाज की धारणाओं, परंपराओं, और मूल्यों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी है। जायसी ने अपने समय की सामाजिक संरचना, धार्मिक आस्था, और सांस्कृतिक धारणाओं को बहुत ही प्रभावशाली और सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। पद्मावत में वर्णित लोकतत्व समाज की सांस्कृतिक, सामाजिक, और धार्मिक धारणाओं को प्रकट करते हैं।
इस प्रकार, मलिक मोहम्मद जायसी का पद्मावत न केवल एक उत्कृष्ट प्रेम कथा है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी है। यह महाकाव्य हमें अपने समाज की सांस्कृतिक धारणाओं, धार्मिक आस्थाओं, और सामाजिक संरचना को समझने में सहायता करता है। जायसी ने पद्मावत के माध्यम से समाज के विभिन्न धाराओं को प्रस्तुत कर समाज की वास्तविकता को उजागर किया है। पद्मावत में वर्णित लोकतत्व समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं और इसे भारतीय साहित्य में एक विशिष्ट स्थान दिलाते हैं।