निम्नलिखित की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
कुछ समय को मेरा मन उस बाग के सौंदर्य पान से तृप्त होकर अवर्णनीय सुख अनुभव करने लगा। बाग की ठंडक हवा में घुलकर बह रही थी । कुएं के चारों ओर तरह-तरह के फूल लगे थे। उनकी सारी सुगंध ठंडी हवा लूटे जा रही थी । नाना जाति के पक्षियों का कलरव आकाश में, पेड़ों में, पौंधों में सब ओर सुनाई पड़ रहा था। मेरा हृदय पक्षियों के साथ पक्षी, और फूलों के साथ फूल बन बैठा। तब ऐसा लगा, पता नहीं क्यों कविगण अनदेखे स्वर्ग का वर्णन करते हैं। जहां सुख होता है वहीं स्वर्ग होता है ।

इस अंश में, लेखक बाग के सौंदर्य और उसकी प्राकृतिक सुन्दरता का अत्यधिक विस्तृत और भावुकता से परिपूर्ण वर्णन करते हैं। उन्होंने बताया है कि बाग की ठंडी और मनमोहक हवा एक सुखद अनुभव प्रदान कर रही है, जो मन को शांति और संतोष की अनुभूति देती है। बाग की हरियाली और उसमें बह रही ठंडी हवा ने लेखक के मन को तृप्त कर दिया है। कुएं के चारों ओर लगे रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू बाग की ताजगी भरी हवा में घुल रही है। यह सुगंध मन को एक अद्वितीय आनंद का अनुभव कराती है, मानो वह हवा के साथ बह कर हर दिशा में फैल रही हो।
लेखक बताते हैं कि उनका हृदय उस समय पक्षियों के साथ पक्षी और फूलों के साथ फूल बन बैठता है। यह दर्शाता है कि लेखक की संवेदनशीलता कितनी गहरी है और वह प्रकृति के साथ किस प्रकार एकाकार हो जाते हैं। यह पल उनके लिए अत्यंत सुखद और अविस्मरणीय हो जाता है, जिससे उन्हें अनदेखे स्वर्ग के वर्णन की तुलना में वास्तविक आनंद की प्राप्ति होती है।
इस अंश में यह भी कहा गया है कि नाना प्रकार के पक्षियों का कलरव हर जगह सुनाई दे रहा है, जो प्रकृति की जीवंतता का प्रतीक है। पक्षियों का कलरव लेखक के हृदय में आनंद और उत्साह का संचार करता है। विभिन्न प्रकार के पक्षियों की मधुर ध्वनियों ने वातावरण को संगीत से भर दिया है, और यह संगीत लेखक को एक गहरी तृप्ति और संतोष का अनुभव कराता है।
लेखक यह सोचते हैं कि कविगण क्यों अनदेखे स्वर्ग का वर्णन करते हैं, जबकि असली सुख इसी दुनिया में मिलता है। लेखक के अनुसार, जहां सुख होता है, वहीं स्वर्ग होता है। उन्होंने महसूस किया कि बाग की प्राकृतिक सुंदरता और उसमें व्याप्त शांतिपूर्ण वातावरण वास्तव में स्वर्ग जैसा ही है। बाग के इस अनुभव ने लेखक को यह अहसास कराया कि स्वर्ग कोई अनदेखी जगह नहीं है, बल्कि हमारे आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता और उसमें व्याप्त शांति ही असली स्वर्ग है।
संदर्भ: - यह अंश हमें यह सिखाता है कि असली स्वर्ग किसी अनदेखी दुनिया में नहीं बल्कि इसी धरती पर, हमारे आसपास की प्रकृति और सुखद अनुभवों में बसा होता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने आस-पास की छोटी-छोटी खुशियों को कैसे पहचान सकते हैं और उनका आनंद उठा सकते हैं। हमें प्रकृति की सुंदरता और उसमें व्याप्त शांति का सम्मान करना चाहिए, और उसमें तृप्ति पाना चाहिए। इससे हमें सच्चे सुख और संतोष की अनुभूति होगी।