पुरापाषाण युग के औजार परवर्ती नवपाषाण युग के औजारों से किस प्रकार भिन्न थे ?

पुरापाषाण युग, जिसे पुराना पाषाण युग भी कहा जाता है, मानव इतिहास का सबसे लंबा और सबसे प्रारंभिक काल था, जो लगभग 3.3 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ और लगभग 10,000 ईसा पूर्व तक चला। इस दौरान मानव प्रजातियों का विकास हुआ और उन्होंने जीवित रहने के लिए साधारण पत्थर के औजारों का उपयोग करना सीखा। दूसरी ओर, नवपाषाण युग, जिसे नया पाषाण युग भी कहा जाता है, लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 4,500 ईसा पूर्व तक चला। यह कृषि, स्थायी बस्तियों और परिष्कृत औजारों के विकास से चिह्नित एक क्रांतिकारी अवधि थी। इन दोनों युगों के औजारों में उल्लेखनीय अंतर थे, जो मानव प्रौद्योगिकी और जीवन शैली में महत्वपूर्ण बदलावों को दर्शाते हैं।

पुरापाषाण युग के औजार (Paleolithic Tools):

पुरापाषाण युग के औजार मुख्य रूप से पत्थरों से बने थे, हालांकि लकड़ी और हड्डी का भी उपयोग किया जाता था। इन औजारों की मुख्य विशेषता इनकी सरलता और निर्माण की खुरदरी विधि थी।

निर्माण विधि (Manufacturing Method): 
  • चिपिंग (Chipping) या फ्लिंट-नैपिंग (Flint-knapping): पुरापाषाण युग के औजारों को "चिपिंग" या "फ्लिंट-नैपिंग" नामक प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता था। इसमें एक पत्थर (जैसे चकमक या ऑब्सीडियन) के कोर से छोटे-छोटे टुकड़े या शल्क (flakes) तोड़कर तीखे किनारे बनाए जाते थे। यह प्रक्रिया बहुत ही बुनियादी थी, और परिणामस्वरूप बने औजार अक्सर खुरदुरे और असममित होते थे।
  • कोर औजार (Core Tools): शुरुआती पुरापाषाण काल में, औजार अक्सर बड़े पत्थरों के कोर से बनाए जाते थे। इन औजारों में हस्त-कुल्हाड़ी (hand axes) सबसे प्रमुख थे। इन्हें दोनों तरफ से गढ़ा जाता था ताकि एक तीखा किनारा या नोक बन सके।
  • शल्क औजार (Flake Tools): बाद के पुरापाषाण काल में, शल्क औजारों का महत्व बढ़ गया। ये छोटे, पतले शल्क होते थे जिन्हें काटने, खुरचने या छेदन के लिए उपयोग किया जाता था। इनमें स्क्रैपर (scrapers) और ब्लेड (blades) शामिल थे।

मुख्य सामग्री (Primary Material):
  • पत्थर (Stone): चकमक (flint), ऑब्सीडियन (obsidian), क्वार्टजाइट (quartzite) और शेल (chert) जैसी चट्टानें प्रमुख सामग्री थीं। इन पत्थरों को उनकी तीखेपन और भंगुरता के कारण चुना जाता था, जिससे उन्हें तोड़कर तीखे किनारे बनाना आसान हो जाता था।
  • हड्डी और सींग (Bone and Antler): ऊपरी पुरापाषाण काल में, हड्डी और सींग का भी उपयोग मछली पकड़ने के हुक, हारपून (harpoons) और सुई (needles) जैसे औजार बनाने के लिए किया जाने लगा। ये औजार विशेष रूप से छोटे शिकार और कपड़ों के लिए उपयोगी थे।
  • लकड़ी (Wood): लकड़ी का उपयोग भी किया जाता था, लेकिन इसके जल्दी सड़ जाने के कारण पुरातात्विक रिकॉर्ड में इसके प्रमाण कम मिलते हैं। लकड़ी का उपयोग शायद भाले और खोदने वाली छड़ियों के लिए किया जाता था।

औजारों के प्रकार और कार्य (Types and Functions of Tools):
  • हस्त-कुल्हाड़ी (Hand Axes): ये सबसे बहुमुखी औजार थे, जिनका उपयोग काटने, तोड़ने, खोदने और मांस काटने के लिए किया जाता था।
  • क्लीवर (Cleavers): ये चौड़े, तीखे किनारे वाले औजार थे, जिनका उपयोग मांस को तोड़ने या लकड़ी को फाड़ने के लिए किया जाता था।
  • स्क्रैपर (Scrapers): इनका उपयोग जानवरों की खाल से मांस और वसा को खुरचने के लिए किया जाता था, ताकि खाल को कपड़े या आश्रय के लिए तैयार किया जा सके।
  • ब्लेड (Blades): लंबे, पतले शल्क थे जिनका उपयोग तेज धार वाले चाकू के रूप में किया जाता था।
  • भाले के सिरे (Spear Points): ये पत्थरों के नुकीले टुकड़े थे जिन्हें लकड़ी के शाफ्ट पर लगाकर भाले बनाए जाते थे। इनका उपयोग बड़े जानवरों के शिकार के लिए किया जाता था।
  • अवाक्स (Awls): ये हड्डियों से बने नुकीले औजार थे जिनका उपयोग चमड़े या खाल में छेद करने के लिए किया जाता था।
  • हारपून (Harpoons): ये मछली पकड़ने के लिए उपयोग किए जाने वाले कांटेदार औजार थे।

जीवन शैली से संबंध (Relation to Lifestyle):
  • पुरापाषाण मानव शिकारी-संग्राहक थे, और उनके औजार उनकी खानाबदोश जीवन शैली के अनुकूल थे। औजारों को आसानी से ले जाया जा सकता था और विभिन्न शिकार और एकत्र करने की गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता था।
  • औजारों का निर्माण मुख्य रूप से तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता था, जैसे कि शिकार किए गए जानवरों को काटना, खाल निकालना, या पौधों को एकत्र करना।

परवर्ती नवपाषाण युग के औजार (Later Neolithic Tools):

नवपाषाण युग में मानव समाज में एक बड़ा बदलाव आया, जो कृषि, पशुपालन और स्थायी बस्तियों के विकास से चिह्नित था। इस क्रांति के साथ ही औजारों के निर्माण और उपयोग में भी महत्वपूर्ण सुधार हुए।

निर्माण विधि (Manufacturing Method):
  • पीसना और पॉलिश करना (Grinding and Polishing): नवपाषाण युग के औजारों की सबसे विशिष्ट विशेषता उन्हें पीसकर और पॉलिश करके बनाना था। इस प्रक्रिया से औजारों की सतह चिकनी और किनारे अधिक तेज और मजबूत बनते थे। यह एक श्रम-गहन प्रक्रिया थी, लेकिन यह औजारों को अधिक टिकाऊ और कुशल बनाती थी।
  • सटीक चिपिंग (Precise Chipping): हालांकि पीसना और पॉलिश करना प्रमुख विशेषता थी, लेकिन कुछ औजार अभी भी चिपिंग विधि से बनाए जाते थे, लेकिन यह पुरापाषाण युग की तुलना में अधिक सटीक और नियंत्रित होती थी।
  • छिद्रण (Drilling): नवपाषाण युग में पत्थरों में छेद करने की तकनीक विकसित हुई, जिससे औजारों में हैंडल लगाने या उन्हें एक साथ जोड़ने में मदद मिली।

मुख्य सामग्री (Primary Material):
  • पत्थर (Stone): अभी भी प्रमुख सामग्री थी, लेकिन अब केवल चकमक या ऑब्सीडियन ही नहीं, बल्कि बेसाल्ट (basalt), जेड (jade) और डायोराइट (diorite) जैसे कठिन पत्थरों का भी उपयोग किया जाता था, क्योंकि उन्हें पॉलिश करना संभव हो गया था।
  • मिट्टी के बर्तन (Pottery): यह नवपाषाण युग की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी। मिट्टी के बर्तन भोजन को पकाने, भंडारण करने और पानी ले जाने के लिए उपयोग किए जाते थे।
  • लकड़ी और हड्डी (Wood and Bone): इनका उपयोग भी जारी रहा, लेकिन अब इनका उपयोग अक्सर पॉलिश किए गए पत्थर के औजारों के हैंडल के रूप में किया जाता था।

औजारों के प्रकार और कार्य (Types and Functions of Tools):
  • पॉलिश की हुई पत्थर की कुल्हाड़ियाँ (Polished Stone Axes): ये नवपाषाण युग के सबसे प्रतिष्ठित औजारों में से एक थे। ये पेड़ों को काटने, जंगल साफ करने और कृषि भूमि तैयार करने के लिए आवश्यक थे। इनकी चिकनी और मजबूत धार इन्हें लकड़ी के काम के लिए बेहद कुशल बनाती थी।
  • हल (Ploughs): कृषि के विकास के साथ, मिट्टी को पलटने और बीज बोने के लिए प्रारंभिक हल का विकास हुआ। ये अक्सर लकड़ी के बने होते थे, लेकिन इनमें पत्थर के सिरे या ब्लेड लगे हो सकते थे।
  • सिकल (Sickles) या हंसिए: अनाज काटने के लिए सिकल का उपयोग किया जाता था। इनमें अक्सर लकड़ी या हड्डी का हैंडल होता था जिसमें चकमक के ब्लेड लगे होते थे।
  • ओखली और मूसल (Mortars and Pestles): अनाज को पीसकर आटा बनाने के लिए इनका उपयोग किया जाता था। ये कृषि समाज की आधारशिला थे।
  • वेजेज (Wedges): इनका उपयोग लकड़ी को फाड़ने या अन्य कार्यों के लिए किया जाता था।
  • छेनी (Chisels): इनका उपयोग लकड़ी या अन्य सामग्री को गढ़ने के लिए किया जाता था।
  • स्पिनिंग और वीविंग औजार (Spinning and Weaving Tools): स्थायी बस्तियों के साथ कपड़े बनाने की आवश्यकता भी बढ़ी। स्पिंडल वर्ल (spindle whorls) और लूम वेट्स (loom weights) जैसे औजारों का उपयोग धागा बनाने और कपड़ा बुनने के लिए किया जाता था।

जीवन शैली से संबंध (Relation to Lifestyle):
  • नवपाषाण युग के औजार कृषि और स्थायी जीवन शैली से गहराई से जुड़े थे। ये औजार खेती, फसल काटने, अनाज को संसाधित करने और कपड़े बनाने के लिए आवश्यक थे।
  • औजारों का निर्माण अधिक योजनाबद्ध और विशिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जाता था, जो एक संगठित समाज और विशेषज्ञता के बढ़ते स्तर को दर्शाता है।
  • पुष्टि और पॉलिश किए गए औजारों का लंबा जीवनकाल था, जो उन्हें बार-बार उपयोग के लिए उपयुक्त बनाता था।

मुख्य अंतरों का सारांश (Summary of Key Differences):
विशेषतापुरापाषाण युग के औजारनवपाषाण युग के औजार
निर्माणचिपिंग, फ्लिंट-नैपिंग (खुरदुरा और बुनियादी)पीसना, पॉलिश करना (चिकना और परिष्कृत), सटीक चिपिंग, छिद्रण
सतहखुरदरी, अनियमितचिकनी, पॉलिश की हुई
तीखेपन/मजबूतीतेज, लेकिन आसानी से टूट सकते थेअधिक तेज, मजबूत और टिकाऊ
मुख्य सामग्रीचकमक, ऑब्सीडियन, क्वार्टजाइट; कुछ हड्डी/सींग/लकड़ीबेसाल्ट, जेड, डायोराइट जैसे कठिन पत्थर; मिट्टी के बर्तन
प्रमुख औजारहस्त-कुल्हाड़ी, क्लीवर, स्क्रैपर, ब्लेड, भाले के सिरेपॉलिश की हुई कुल्हाड़ियाँ, हल, सिकल, ओखली-मूसल, स्पिनिंग औजार
कार्यशिकार, एकत्र करना, मांस काटना, खाल निकालनाखेती, फसल काटना, अनाज पीसना, लकड़ी काटना, कपड़े बनाना, निर्माण
जीवन शैलीशिकारी-संग्राहक, खानाबदोशकृषि आधारित, स्थायी बस्तियाँ, पशुपालन
उद्देश्यतात्कालिक आवश्यकताएं, बहु-कार्यात्मकविशिष्ट कार्य, विशिष्ट उद्देश्य


संक्षेप में, पुरापाषाण युग के औजार अपेक्षाकृत सरल, खुरदुरे और बहु-कार्यात्मक थे, जो शिकारी-संग्राहक की खानाबदोश जीवन शैली का समर्थन करते थे। इसके विपरीत, नवपाषाण युग के औजार कृषि क्रांति के अनुरूप अत्यधिक परिष्कृत, विशिष्ट और टिकाऊ थे। पीसने और पॉलिश करने की तकनीक का विकास एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने मानव को अपनी पर्यावरण को अधिक प्रभावी ढंग से आकार देने और एक स्थिर, कृषि-आधारित समाज की नींव रखने में सक्षम बनाया। यह प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण छलांग थी जिसने मानव सभ्यता के आगे के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

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